
रानी सिर्फ नाम की रानी
आज तक ना तो कभी रानी कि तरह भाग्य ने महसूस होने दिया और ना ही प्रशासन ने, चम्बा जिला के भटियात क्षेत्र में आज से लगभग 47 साल पहले निर्धन माँ बाप के घर जन्मी रानी के माँ बाप ने बेटी के नामकरण के समय सोचा कि हम तो गरीब हैं तब किउं न बेटी का नाम रानी रखा जाए हो सकता है उसके भाग्य में से शायद गरिबी कम हो जाये लेकिन अफसोस रानी की गरीबी तो खत्म नही हुई पर रानी आज वक्त ओर हालात की ठोकरें खाते खाते खुद खात्मे की कगार पर पहुंच चुकी है , कुछ बड़ा होने के बाद जैसे ही रानी के हाथ उसके माँ बाप ने पीले किये दूर नूरपुर क्षेत्र की नगरोटा पंचयात के गाँब वरोटुआ दा बासा, में एक मेहनत कस युवा हरनाम सिंह के साथ, रानी का ससुराल चारों तरफ से लगभग सड़क से 6 या 7 किलोमीटर की दूरी पर घने जंगल मे पहाड़ पर था,शादी के बाद दोनों पति पत्नी खुशी खुशी मेहनत करके जीवन मे आगे बढ़ने के सपने संजोने लगे,लेकिन भाग्य को तो रानी की कोई खुशी जैसे मंजूर ही नही थी,एक दिन अचानक उसके पति हरनाम को किसी अज्ञात बीमारी ने घेर लिया और बो चलने फिरने में असमर्थ हो गया,
रानी ने तब भी हिम्मत नही हारी ओर जंगल से पत्ते लाकर उज़के पत्तल बनाती ओर दूसरे दिन 6 किलोमीटर दूर सड़क पर बेच कर अपना ओर पति का पेट भरने लगी,लेकिन भाग्य को यह भी मंजूर नही था,घने जंगल मे रानी का घर अकेला होने की वजह से हमेशा जंगली जानवरों का खतरा बना रहता ,जैसे तेंदुए भालू आदि,रानी का घर भी पूरी तरह क्षतिग्रत हो गया था ,दरवाजे को अगर थोड़ा जोर से धकेलो तो बो खुल जाता ,ऐसे में अपने लाचार पति को अकेला छोड़ कर बो पत्तल बेचने भी नही जा पा रही थी , अब अगर पत्तल नही विकते तो घर पर खाना कंहा से बनता ,ओर आज रानी और उसके पति को भूखे मरने की नोबत आ गयी है , रानी पंचयात में कई बार अपना दुखड़ा सुना आयी लेकिन कोई रानी का दुख समझता ही नही,दोस्तो रानी की इस पूरी व्यथा में मेरे लिए उस समय बड़ी अजीब जैसी स्थिति हो गयी जब उसने मुझे अपने सामने देखा और आकर मुझसे लिपट गयी और जोर जोर से रोते होए बोली संजय भाई में पिछले 2 सालों से आपको ढूंढ रही थी ,
ओर आप आज आये हो , मुझे समझ नही आया कि उसको क्या बताऊँ ओर क्या नही,? दोस्तो मुझे समझ नही आ रहा था कि में क्या करूँ रोऊँ ,या फिर? रानी बहन ने तब तक मेरे कंधे से सर नही हटाया जब तक उसके आंसू सूखे नही , दूसरी तरफ रानी बहन के पति की आंखों से छलकता खामोश सैलाब रानी और अपनी बेबसी को बखूबी बयां कर रहा था दोस्तो ,रानी का पति आज नूरपुर हस्पताल में उपचाराधीन है ,पर रानी बहन को अभी हम सब की मदद की जरूरत है ,बाकी आप सभी जो उचित समझे,,
ओर आप आज आये हो , मुझे समझ नही आया कि उसको क्या बताऊँ ओर क्या नही,? दोस्तो मुझे समझ नही आ रहा था कि में क्या करूँ रोऊँ ,या फिर? रानी बहन ने तब तक मेरे कंधे से सर नही हटाया जब तक उसके आंसू सूखे नही , दूसरी तरफ रानी बहन के पति की आंखों से छलकता खामोश सैलाब रानी और अपनी बेबसी को बखूबी बयां कर रहा था दोस्तो ,रानी का पति आज नूरपुर हस्पताल में उपचाराधीन है ,पर रानी बहन को अभी हम सब की मदद की जरूरत है ,बाकी आप सभी जो उचित समझे,,
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